दोस्तो कहते है की इंसान के जीवन में दो बार बहुत ज्यादा पैसा लगता है. एक घर बनाने में दूसरा शादी विवाह में दोस्तो दोनो ही काम बहुत जरूरी है, जो हर एक इसान को बहुत सोच समझ कर करना होता है. ताकि इतना पैसा तो लग ही रहा है तो काम भी अच्छा हो. लेकिन जब भी आप अपना घर बनाए तब आप उसमें वास्तु का विशेष ध्यान जरूर रखे ताकि आपको आने वाले समय में किसी बात की समस्याओं का सामना न करना पड़े.
वास्तुदोष के लक्षण जैसे-आपको अपने घर में यदि अच्छी सुकून की नींद नहीं मिल पा रही, अच्छा भोजन और भरपूर प्यार-अपनत्व नहीं मिल रहा है, घर मेें अक्शर कलेश होते है, नकारआत्मक माहौल बना रहता हैै, बनता काम बिगड जाता है. तो इसका सिधा मतलब हैै, कि आपके घर में वास्तुदोष है.
देखिए दोस्तो हम तो यही कहेंगे कि घर है तो परिवार और संसार है. घर नहीं है तो भरी भीड़ के बीच सड़क पर हैं.
खुद का घर होना जरूरी है. और हा वास्तुदोष से मुक्त घर होना चाहिए.
अपने घरको बनवाते समय रखे इन बातो का खास ख्याल....
सही ज़मिन का करे चुनाव
मकान के लिए पहले अच्छी ज़मिन का चुनाव करना सबसे ज्यादा महत्व रखता है.ज़मिन कैसी है और कहां है यह देखना जरूरी है. ज़मिन भी वास्तु अनुसार है तो आपके मकान का वास्तु और भी अच्छे फल देने लगेगा.
मुख्य द्वार
घर का मुख्य द्वार सिर्फ पूर्व, उत्तर , पश्चिम में होना चाहिए. पूर्व से सूर्य निकलता है और पश्चिम में अस्त होता है. उत्तर इसलिए कि उत्तरी ध्रुव से आने वाली हवाएं अच्छी होती हैं और दक्षिणी ध्रुव से आने वाली हवाएं अच्छी नहीं मानी जाती जितना हो सके प्रयास कीजिएगा की दक्षिण मे आपका द्वार न बने.
पूर्व दिशा
यह तो हम सभी जानते है की पूर्व दिशा यानि के यहाँ से सूर्योदय होते है. इस दिशा से सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है. इसलिए यहाँ आप दरवाजा या खिड़की रख सकते हैं.
उत्तर दिशा
इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होना चाहिए घर की बालकनी भी इसी दिशा में होना चाहिए
दक्षिण दिशा
यदि इस दिशा में द्वार या खिड़की है तो आपको बता दे की इस घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी और ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाएग और ऐसे वातावरण में घर में कलेश भी बढ़ जायेगा.
पश्चिम दिशा
आपका रसोईघर या टॉयलेट,बाथरूम इस दिशा में होना चाहिए .लेकिन इस बात विशेष ध्यान रखें रसोईघर और टॉयलेट पास- पास न हो.
उत्तर-पूर्व दिशा
अगर इस दिशा में द्वार है तो यह बहुत उत्तम है. इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल, पूजास्थल आदि होना ठीक रहता है .
उत्तर-पश्चिम दिशा
इस दिशा में बेडरूम, गैरेज, गौशाला बनवाना उत्तम होता है.
पूजाघर
घर में देवी-देवता का एक अहम स्थान होता है. उनका स्थान सुव्यवस्थित होना चाहिए, पूजा घर ही वह स्थान है जहाँ हमारे मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है ,तो यह स्थान अच्छा होना जरूरी है. आप अपना पूजा घर किसी ज्ञानी पुरुष से सलाह लेकर ही बनवाये. वास्तु के अनुसार भगवान के लिए उत्तर-पूर्व की दिशा श्रेष्ठ रहती है. इस दिशा में पूजाघर स्थापित करना अति उत्तम रहेगा.
शयन कक्ष
शयन कक्ष या सोने कमरा ऐसा हो जिसमे सोते समय हमेशा सिर दीवार से सटा रहे. ध्यान रहें पैर दक्षिण और पूर्व दिशा में करके नहीं सोना चाहिए उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोने से स्वास्थ्य लाभ तथा आर्थिक लाभ की संभावना रहती है. पश्चिम दिशा की ओर पैर करके सोने से शरीर की थकान निकलती है, नींद अच्छी आती है.
रसोई कैसी हो
सबसे महत्वपूर्ण बात रसोई में भोजन पकाते समय आपका मुँह पूर्व दिशा में होना चाहिए और भोजन करते समय आपका मुँह पूर्व या उत्तर के तरफ होना चाहिए.
अतिथि कक्ष
अतिथि का भी हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है.
वैसे तो अतिथि को देवता के समान माना जाता है तो उनका कक्ष उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में ही होना शुभ माना जाता है.
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